लाल किताब की चन्दर कुंडली

कैसे हो दोस्तों उम्मीद है आप सभी अपने अपने घरों में सुरक्षित होंगे। मेरी कामना है आप सभी स्वास्थ्य रहे और यह बुरा वक़्त जल्दी ही निकल जाये । दोस्तों आज लाल किताब का एक और बहुत ही बेहतरीन विषय ले कर आया हूँ चन्दर कुंडली पंडित जी ने अरमान 181 में इसका जिक्र किया है।

पंडित जी ने कहा है किसी भी जातक के जब दोनों हाथों में अंतर हो(जो की अमूमन होता ही है ) तो किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले दोनों ही हाथों को मुक़्क़मल तौर पर देख लेना ज़रूरी है जैसे की हम जानते है लाल किताब हस्त या सामुन्द्रिक ज्ञान पर आधारित है।

तो दाया हाथ यदि जन्म कुंडली है तो बाया हाथ चन्दर कुंडली कहलाता है। अमूमन दाया हाथ ही असर करता है परन्तु कभी कभी अचानक ही बाया हाथ भी अपना असर दे दिया करता है खास तौर पर जब चन्दर या शुक्र का वक्त हो।

आईये जाने कैसे बनती है लाल किताब में चन्दर कुंडली। पहले ज्योतिष की लगन कुंडली बनाये ।

अब इस जनम कुंडली में चन्दर जोकि खाना नंबर 4 में है उसे भाव 1 यानि लगन वाले खाने में लिख लें जो हिंदसे है वह जैसे थे वैसे ही रहेंगे देखिये अगले चित्र में ।

अब जिस भी घर में राशि नंबर 1 लिखा है उसे खाना नंबर 1 यानि लगन वाले भाव में लिख दे और बाकि भी खानो को तरतीब से लगा लें अब यही आपकी लाल किताब की चन्दर कुंडली हैं नीचे दिए गए चित्र को देखे ।

चन्दर कुंडली को देखने के लिए भी वही नियम है जो लाल किताब के लगन कुंडली पर लागू होते है फरक सिर्फ इतना है की लगन कुंडली जिस प्रकार खुद कुंडली वाले जातक पर असर देती है इसी प्रकार चन्दर कुंडली जब तक शादी न हुई हो अचानक कभी कभार असर दे देती है और शादी हो जाने पर यही कुंडली। कुंडली वाले जातक को राशिफल का काम भी देती है।

दोस्तों यह विषय बहुत सरल तो है परन्तु इसके असर/ परिणाम बहुत ही अद्भुत है। ज्योतिष का अंत नहीं। और पंडित रूप चंद जी द्वारा इस अमूल्य ग्रंथ की रचना से ज्योतिष को न केवल आसान ही बनाया अपितु उन्होंने जान मानस के लिए सुलभ उपाए भी दिए। मेरा उन्हें बार बार प्रणाम है।

मेरे किसी भी लेख में कोई त्रुटि होने पर कृपया ज़रूर बताये और अपने सुझाव भी देते रहे

इसी लेख के ऊपर वीडियो देखें के लिए किसी भी दिए गए चित्र को click करें इसी लेख के ऊपर वीडियो देखें के लिए किसी भी दिए गए चित्र को click करें

नमस्कार फिर मिलेंगे

लाल किताब ग्रहों की आपसी दोस्ती दुश्मनी

नमस्कार दोस्तों कैसे है आप सब लोग इस मुश्किल की घडी में आप सभी लोग अपने घर में ही बने रहे और भगवान से आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थन भी करता हूँ। साथ ही एक हिदायत भी दे रहा हूँ की हल्का और स्वास्थ्य वर्धक भोजन करें और हलके फुल्के व्यायाम भी करते रहे ताकि कोई और सेहत सम्बन्धी परेशानी ना बन जाये। और प्रभु का सिमरन करते रहे.

आज कौनसा विषय ले समझ नहीं पा रहा था। तो ध्यान आया कुछ बहुत ही सरल परन्तु बहुत ही गहन विषय जिस पर एक अलग तरीके से बात की जाये। तो आज बात करते है लाल किताब में ग्रहों की आपसी दोस्ती , दुश्मनी और बराबरी के बारे में।

यू तो आपने ये विषय कई बार पढ़ा देखा समझा होगा पर आज इस विषय के साथ एक विषय और जोड़ देंगे और देखते है की यह आपको prediction करते वक़्त कैसे सहायता करेगा।

चन्दर दुश्मनी करता है शुक्र से , शुक्र दुश्मनी करता है बृहस्पति से , मंगल दुश्मनी करता है शनि से
बुध चन्दर से मित्रता करता है परन्तु चन्दर दुश्मनी करता है बुध से

उपरोक्त chart को ध्यान में रखे अब इसके साथ एक बात और जोड़ देता हूँ तो यह बहुत ही सरल और मज़ेदार हो जायेगा।

अरमान नंबर 27 के मुताबिक अपने दौरे के वक्त ग्रह सबसे पहले उस घर पर असर देता है जहा वह जनम कुंडली में स्थापित हो अपने असर के समय वह सबसे पहले दुशमनो ग्रहो पर जिस घर मैं वो बैठा हो उसके उपरांत दोस्त ग्रहो तथा अंत में अपने बराबर की ताकत वाले घरों पर असर डालता है

अगर एक घर में एक से ज्यादा मित्र या दुशमना या बराबरी वाले ग्रह हो तो वह उन पर निम्न लिखित श्रेणी या series में उनपर अपना असर डालेगा।

बृहस्पति
सूर्य
चन्दर
शुक्र
मंगल
बुध
शनि
राहु
केतु

और यदि दुशमन दोस्त और बराबरी वाले ग्रह अलग अलग घरों में हो तो खानो की तरतीब से 1 फिर 2 फिर 3 इस तरह से असर देगा।

इस लेख को यही समाप्त करता हूँ उम्मीद है आपको इस विषय की गहरायी तक ले जाने मैं समर्थ रहा। नमस्कार

लाल किताब उपाए करने से पहले ये देख ले

नमस्कार दोस्तों आज हम लाल किताब के और विषय पर बात करेंगे

जन्मवक्त ग्रह
जन्मदिन का ग्रह

लाल किताब में कई ऐसे विषय है जिनके बारे में कई बड़े बड़े ज्योतिष भी विश्वस्त तौर पर खुले में बात करना पसंद नहीं करते।
परन्तु फिर भी अगर आप बार बार इस किताब को पढ़ते है तो कुछ न कुछ नया मिल ही जाता है यह किताब खुद ही अपने भेद खोलना शुरू कर देती है।
पंडित जी ने भी कहा है की इस किताब को एक उपन्यास की तरह बार बार पढ़ते रहे।

फ़िलहाल मैं आज जिस विषय को लेकर आप तक आया हूँ वह बहुत ही सरल है परन्तु फिर भी लाल किताब के जानने वाले इसे भूल जाते है और उपाए करते या करवाते वक्त इन विषय को नजर अंदाज कर जाते है।

जातक की पैदायश यानि birth के समय और उस की पैदायश के दिन का बहुत महत्व है

सरल शब्दों में अगर कहूं तो जन्म समय का ग्रह जो की ग्रह फल (किस्मत का ग्रह है) का बन जाता है
और जन्म दिन का ग्रह जो की राशि फल ( किस्मत के ग्रह को जगाने वालें ग्रह का पक्का घर ) का बन जाता है।

आईये एक चार्ट देखते है

नर ग्रहो का राज दिन वक्त
स्त्री ग्रहों का रात के वक्त राज होता है
और नामर्द ग्रह दिन रात मिलने या पक्की शाम जब सूर्य डूब जाता है परंतु अँधेरा नहीं होता तारे नहीं होते वह वक्त

जब जन्म दिन और जन्म वक्त का ग्रह एक ही हो जाये तो वह ऐसे जातक का कभी बुरा नहीं करते

बाकी सभी हालातो में ( जब जन्म दिन किसी और ग्रह का और जनम वक्त का ग्रह कोई और हो )यह जन्म वक्त के ग्रह अपनी अपनी दोस्ती दुश्मनी जरूर दिखायेंगे .

दोस्तों मैंने इस विषय को बहुत ही सरल और स्पष्ट करने का प्रयत्न किया हैउम्मीद है आप लोगो को यह पसंद आया होगा
धन्यवाद

मंगल बदकार यानि मंगल बद

कैसे है सब….. सभी प्रियजनो को मेरा प्यार भरा नमस्कार आज बात करेंगे मंगल के 2 रूपों की या यूं कहे की कैसे है मंगल के अलग अलग 2 स्वाभाव।

मंगल नेक और मंगल बद

परम्परागत ज्योतिष में इसे मंगलीक भी कहते है लाल किताब में इसे मंगल बद कहा गया है।
मंगल बद के दुष प्रभाव को रोकना कई दफा संभव नहीं हो पाता।
मंगल के बुरे प्रभाव को चन्दर से रोका जाता है।
सूर्य और चन्दर से मंगल की शक्ति बनी रहती है। जैसे की हम सब जानते है मंगल के मित्र सूर्य , चन्दर , बृहस्पति की मदद से मंगल को उत्तम किया जाता है।

मंगल बद होने पर जीवन में खुशिया नहीं आ पाती। कई दफा तो जीवन साथी की आयु या सेहत तक ख़त्म होने का खतरा बना रहता है या परिवार में पुरुषो के लिए कष्ट कारी साबित होता हैं।

इस विषय पर बहुत ही संक्षेप में बात करूँगा ताकि आपकी रूचि भी बने रहे और विषय भी समझ पाये।

जन्म कुंडली में (मंगलीक) मंगल बद कैसे देखे कुछ नुस्खे बता रहा हूँ। या किन योगो से मंगल बद नहीं होगा।

मंगल के साथ बुध हो तो मंगल बद ही होगा

1 , 4 , 7 , 8 , 12 में यू तो मंगल बुरा ही माना जाता है। परन्तु चन्दर सूर्य और बृहस्पति की मदद मिल रही हो तो ये ज्यादा कष्टकारी साबित नहीं होता

उपरोक्त घरों में ही यदि (शनि + राहु) / (मंगल + राहु) / (मंगल+ केतु) / तो मंगल बुरा प्रभाव ही देगा।
इसी प्रकार सूर्य बुध शुक्र की युति भी कष्टकारी होती है यानी इनके मिलने से भी मंगल बद हो जाता है।

जिस तरह सूर्य + बुध की युति जन्म कुंडली में होने पर मंगल नेक हो जाता है।
उसी प्रकार सूर्य + शनि की युति इस दूषित कर मंगल नीच का प्रभाव देती है।

सूर्य + बुध मस्नूई यानी मंगल बनावटी बन जाते है।
याद रहे जब भी कोई 2 बाहम शत्रु जैसे (बुध + केतु) / (सूर्य+ शुक्र) मंगल के साथी हो जाये तो मंगल मंदा नहीं रहेगा
इसके अलावा और भी नियम है

फिलहाल इतना ही। आप सभी अपना प्रेम बनाये रखे आपका आभारी

lal kitab kundali kaise dekhe

लाल किताब कुंडली कैसे देखे

नमस्कार दोस्तों यह विषय उन लोगो से जुड़ा है जिन्हे मैं समझता जो लाल किताब पहले से आती है या वह सीख रहे है। एक प्रश्न अक्सर पुछा जाता है की गुरूजी आता सब है परन्तु कुंडली सामने आते ही समझ नहीं आता की कुंडली मैं क्या देखे और क्या बोले। तो मैंने आज इसी को विषय बनाया है।

यू तो हर ज्योतिष का अपना अपना कुंडली देखने का अलग अलग तरीका होता है। और दूसरा यह भी महत्व रखता है की आपसे मिलने आया जातक आपसे क्या जानना चाहता है उसी क्या इच्छा है।

परन्तु फिर भी कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है।

यह लेख बहुत बड़ा न करके कुछ कुछ महत्वपुर्ण बातों को ही स्थान दिया जा रहा है।

कुंडली की दुरुस्ती कर ले बैठे हुए ग्रहो से सम्बंधित बेजान और जान दार चीज़ो के असर और रिश्तेदारों के हालत मालूम करे।

उच्च नीच के ग्रह
पक्के घरो में बैठे ग्रह
पितृ ऋण
और किस्मत का ग्रह ज़रूर ढून्ढ लें
आपसी मित्रता और शत्रुता ग्रहों की

1 , 8 की टक्कर
6 , 1 का टकराव
1 – 10 का धोखा
सांझी दिवार भी देख लें (जो लोग काफी कुछ जानते है उनके लिए लाल किताब कुंडली कैसे देखी जाये एक उन्नंत यानि method for advanced जरूर लिखूंगा। )

सेहत बीमारी जो की खाना no 3, 5 से देखी जाती है। देख ले

साथ ही उम्र भी देख ले (परन्तु पंडित जी ने यह बात जाहिर करने से मना किया है)

3 , 6 , 8 , 12 को देख लेना भी बहुत ज़रूरी है।

क्योकि उपरोक्त घर
3 धन दौलत के जाने का , इस घर का घर अगर बदी पर आये तो बहुत कष्ट भी देता है
6 यह घर खाली हो तो 2 और 12 दोनों सोये हुए होते है। यह घर अचानक मिली मदद भी है। 8 , 2 , 12 की बीच की कड़ी भी।
8 मौत का घर है 8 , 6 में से कोई मंदा दोनों ही मंदे होते है। यह घर रहम नहीं करता बस अदले का बदला करता है।
12 इंसाफ़ का घर पर इंसाफ करने करने की जगह नहीं है। 8 , 12 की टक्कर के मंदे नतीजे होते है। आखरी फैसला इसी घर का होता है। और खुद 12
का फैसला 2 से होता है, ग्रहस्थी सुख का मालिक।

जिस वर्ष जातक आपके पास आता है उस से पहले के कम से कम 1 वर्ष पहले के हालात भी देख लेने चाहिए पंडित रूपचंद जोशी जी तो महीने और हफ़्तों के हालात भी देखा करते थे।

कई दफा जो परेशानी जातक को होती है उसका कारन उसके पिछले वर्ष फल के ग्रह होते है। (आपको 40 रियाती दिन तो मालूम ही होंगे)।

वर्ष फल में धोखे का ग्रह
वर्ष फल में राजा यानि ग्रहफल और वजीर राशिफल ज़रूर देख लें।

जन्म कुंडली में मंगल बद हो रहा है या नहीं यह भी देख लेना बहुत ही आवश्यक है।

और यदि कोई सूर्य या चन्दर ग्रहण की स्तिथि हो तो भी उसका ध्यान रखे।

बालिग नाबालिग टेवे का भी ध्यान रखे / जातक की उम्र के लिहाज़ से 35 साला चक्र भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।

यू तो यह लेख बहुत बड़ा हो जायेगा मैं अपने इस लेख का समापन अरमान / फरमान no 10 – 11 की कुछ पक्तियों से करना चाहूंगा इन्हे बार बार पढ़े और समझे जो की भविष्य मैं आपको किसी भी कुंडली को समझ कर उसकी विवेचना करने मैं मदद करेगा।

किस्मत का फैसला उम्र के लिहाज से धोखे के ग्रह और वर्षफल व राशि नंबर के बोलने वाले ग्रहो का मुश्तर्का नतीजा किस्मत का फैसला करेगा।

बंद मुट्ठी या कुंडली के 1 , 4 , 7 , 10 no के खाने भले ही अच्छे हो या बुरे जातक की तबियत से मतलब इंसानी प्रकृति और किस्मत की बुनियाद होंगे।

सभी का धन्यवाद।

बुध का भेद, तोते की 35

मेरा यह आर्टिकल कुछ जयादा ही बड़ा हो गया है कुछ बातें मैंने अपने वीडियो मैं बताई है और कुछ मैं इस लेख मैं दे रहा हु पूरे मामले को समझने के लिए दोनो को ही पूरा देखना और पढ़ना ज़रूरी है।

जैसा की मैं कई बार कहता हु की लाल किताब एक रहस्यमयी किताब है जिसके भेद को समझने के लिए इसे कई बार पढ़ना पढता है बार बार पढ़ना पढता है तो यह किताब अपना भेद खुद बी खुद खोल देती है।

अब वापिस आते है अपने विषय पर

मैंने जो उदहारण दिया है वो जान बूझ कर एक ऐसा टेवा लिया है जिसमे remainderयानि शेष ० बचा है।
तोते की 35 हिस्सा है अरमान 60 का और जबकि बुध का भेद का जिक्र आता है अरमान 163 से 165 में

तोते की 35 अमूमन जब अकेला बुध बैठा हो तब देख लिया जाता है।
ताकि आप जान जाये की अकेला बुध उस खाना मैं किस ग्रह का असर ले कर बैठा है अब मेरे लिए हुए उदहारण वाले टेवे मैं जब मैंने तोते की 35 का असूल लगाया तो पाया की ये घमंड और अभिमान और सिर्फ मैं को देखना बिलकुल सही साबित हुआ

कई लोग बुध का भेद सिर्फ जनम कुंडली मैं ही निकलने की बात करते है।
की बुध सफ़ेद कागज़ या फिटकरी है जैसे ही किसी ग्रह के साथ हुआ बहुत जल्दी मैला हो जाता है फिर उसकी गोलाई या केन्द्र का अंदाजा लगाना बहुत कठिन है वह क्या असर करेगा कहा तक उसका नुकसान का दायरा होगा बहुत मुश्किल है

इसलिए बुध का भेद निकल लेना जब की वह किसी और ग्रह का साथी हो रहा हो बहुत जरूरी है

दोस्तों मैंने इस लेख और साथ दिए गए वीडियो लिंक में पूरी ईमानदारी के साथ लाल किताब के facts सामने रखने की कोशिश की है बुध एक बहुत बड़ा हिस्सा है जिसे एक लेख मैं समझा पाना बहुत कठिन है मेरी किसी भी गलती के लिए मैं आप सबसे क्षमा मांगता हूँ और चाहूंगा की आप लोग अपने सुझाव मुझे ज़रूर भेजे।

धन्यवाद

for complete details on this article please visit my you tube channel by clicking images above

विवाह संबंधित लाल किताब के नियम

नमस्कार साथियों आजकल समय उतना नहीं मिल पा रहा फिर भी सोचा एक छोटा सा लेख और डाल ही दूँ। मेरी कोशिश यह रहती है की मैं लाल किताब से जुड़ी बातें आपको बताता रहूँ आज का मेरा विषय है विवाह से जुड़े कुछ नियम जिसमे लाल किताब बताती है की कब कब विवाह करना उचित होगा या कब विवाह करने पर उत्तम परिणाम नहीं मिल पाएंगे। विवाह कब होगा या उस से संबंधित उपायों के विषय में हम इस लेख में फिलहाल बात नहीं करेंगे।

विवाह संबंधित लाल किताब के नियम

शनि खाना नंबर 6 में 28 वर्ष की आयु से पहले विवाह नहीं करना चाहिये।
शनि खाना नंबर 7 में 22 वर्ष की आयु से पहले विवाह नहीं करना चाहिये।
चन्दर खाना नंबर 1 में 28 वर्ष की आयु से पहले विवाह नहीं करना चाहिये।
चन्दर 7 वे भाव यानि खाना में होने पर 24 से 25 सवे वर्ष में विवाह नहीं करना चाहिये।
शुक्र खाना नंबर 1 में 25 स्वे वर्ष में विवाह नहीं करना चाहिये।
शुक्र खाना नंबर 8 में 25 स्वे वर्ष के बाद विवाह करना उत्तम प्रभाव देगा।
शुक्र खाना नंबर 9 में 25 स्वे वर्ष में विवाह नहीं करना चाहिये।

तो दोस्तों यह तो कुछ लाल किताब के नियम है। इसके अलावा किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले जातक विशेष की कुंडली का अध्यन किसी भी ज्योतिष से करवा लेना उचित होगा।

अगली बार मिलते है एक और नए विषय के साथ नमस्कार

लाल किताब और मकान

दोस्तों आज हम लाल किताब के एक और विषय के बारे मैं बात करेंगे मकान कब बनाना चाहिये इस विषय पर लाल किताब का क्या मत है मैं वह बताना चाहूंगा।

जैसा की हम जानते है खुद का बनाया मकान हम शनि के द्वारा देखते है। शनि की स्थिति जिस भाव मैं हो उसके द्वारा हम निश्चित करते है की मकान बनाना सही प्रभाव देगा या नहीं. मित्रों मैं बार बार एक बात ज़रूर कहना चाहूँगा की ये बातें मोटे तौर पर है परन्तु इसके अलावा और भी नियम लागू किये जाते है। जो की किसी वयक्ति विशेष की कुंडली देखे जाने के बाद ही लिया जा सकता है।

शनि यदि खाना 1 मैं हो तो 48 वर्ष की आयु से पहले मकान बना लेना दुखदाई हो सकता है

शनि यदि खाना 2 मैं हो तो जब जैसे मकान बने बना लेना चाहिये

शनि यदि खाना 3 मैं हो तो उपाए के उपरांत ही बनावे।

शनि यदि खाना 4 मैं हो तो अपने नाम पर मकान बनाना उत्तम नहीं होगा

शनि यदि खाना 5 मैं हो तो 48 से पहले ना ही बनाये तो अच्छा होगा

शनि यदि खाना 6 मैं हो तो 36 , 39 वर्ष के बाद ही बनाये

शनि यदि खाना 7 मैं हो तो बना बनाया ले तो बेहतर होगा

शनि यदि खाना 8 मैं हो तो ना ही बनाये तो बेहतर

शनि यदि खाना 9 मैं हो तो 2 से अधिक ना ही बनाये तो उत्तम होगा

शनि यदि खाना 10 मैं हो तो अपनी कमाई ना लगाए तो बेहतर होगा

शनि यदि खाना 11 मैं हो तो 55 वर्ष आयु से पूर्व ना बनाये।

शनि यदि खाना 12 मैं हो तो जब बने बना लेना चाहिए।

दोस्तों इसमें कई उपाए आदि भी करवाए जाते है और दिशाओ का भी ध्यान रखा जाता है वो किसी आने वाले लेख के दौरान उसकी चर्चा करेंगे
आज के लिए इतना ही धन्यवाद।

किसे मांसाहार नहीं करना चाहिये लाल किताब

नमस्कार दोस्तों

एक प्रश्न अक्सर पूछा जाता है की पंडित जी क्या मैं non veg खा सकता हूँ।

आज मैंने इसी को विषय बनाया है। लाल किताब के अनुसार किस जातक को मांसाहार करना वर्जित है।

शुक्र भाव 9 में होने पर
सूर्य भाव 11 में होने पर
शनि भाव 2 में होने पर
शनि भाव 3 में होने पर
शनि भाव 7 में होने पर
शनि भाव 8 में होने पर
शनि भाव 10 में होने पर
शनि भाव 11 में होने पर
शनि भाव 12 में होने पर

इन घरो में मांसाहार ही नहीं शराब का सेवन भी वर्जित है

इसके अलावा और भी बारीकियां हो सकती है वह सिर्फ एक जातक के टेवे को देख कर ही बताया जा सकता है।
एक बात मैं आज और करना चाहूंगा हो सकता है मैं इस विषय पर समय मैं एक लेख द्वारा कुछ उदाहरण देकर भी समझाऊ वह यह की अक्सर लोग पूछते है की हमारा ग्रह इस भाव मैं है तो उपाए बताये उन लोगो के लिए मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा की किसी एक ग्रह को देख कर कोई निर्णय ले लेना उचित नहीं है हो सकता है वह आपके लिए काम कर भी जाये और हो सकता है वह आपका एक बहुत ही शानदार मददगार ग्रह खराब कर दे। किसी विषय को अच्छे से समझे और उसके बाद ही निर्णय ले

आज केवल इतना ही धन्यवाद

लाल किताब और गाये की सेवा

नमस्कार दोस्तों

आज लेख द्वारा मैं आप सभी को एक और उपाए से सम्बंधित जानकारी देना चाहूंगा।

गाये की सेवा।

शुक्र जो की दांपत्य जीवन का मालिक है और ऐश्वर्य का परिचायक भी है सुख सुविधाओं को देने वाला है। उस शुक्र ग्रह को मज़बूत करने के लिए और शुक्र ग्रह के तथा गृहस्थी के कई दोषो को दूर करने के लिए गाये की सेवा करते है यू भी हमारे पुराणों में गाये में करोड़ो देवी देवताओ का वास बातया गया है. कपिला और कामधेनु अलग अलग रूपों में इसकी पूजा भी की जाती है।

कपिला यानि काली गाये जिसके थन भी काले होते है।
कामधेनु गाये जो की अपने बछड़े के साथ होती है।

परन्तु लाल किताब की माने तो कुंडली के प्रत्येक घर में शुक्र की स्थिति के अनुसार ही यह सेवा होनी चाहिए इसी विषय पर मैं आज का यह लेख लिख रहा हूँ। इसमें भी समझने वाली जो बात है वो यह है की कई दफा हम भक्ति भाव में बह कर या परोपकार के चलते कई ऐसे कार्य कर बैठते है जो कई प्रकार की परेशानियों को जन्म देते है और हमें उन समस्याओ की जड़ का पता नहीं चलता और हम यू ही कष्ट भोगते रहते है।

शुक्र यदि खाना नंबर 1 में हो तो काली गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 2 में हो तो भोंडी गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 7 में हो तो लाल गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 8 में हो तो काली या लाल सींग वाली गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 9 में हो तो काली या लाल भोंडी गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 10 में हो तो कपिला ये की सेवा और दान करना चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 11 में हो तो कपिला गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 12 में हो तो कामधेनु गाये की सेवा करनी चाहिए।

इसके अलावा बचने वाले घरो में किसी खास प्रकार की गाये के लिए नहीं कहा गया। परन्तु पितृ ऋण की अवस्था में जब एक साथ 100 गाये को भोजन की वयवस्था की जाए तो ध्यान रखा जाना चाहिए की वह अंगहीन ना हो।
इसके अलावा देखा गया है बड़े पैमाने पर यानी बहुत जयादा संख्या में यदि आप सेवा करते है तो वहाँ गाये के रंग आदि को लेकर कोई विषय विवाद नहीं है।

इसके अलावा शनिचर देवता के खाना न 2 में होने पर भूरी भैंस की सेवा
और शनि के खाना न 7 में होने पर काली भोंडी गाये की सेवा के लिए बताया गया है।

मेरी आप सबसे बार बार यही निवेदन है की कोई भी उपाए को करने से पूर्व एक बार किसी ज्योतिष से सलाह जरूर कर लें ताकि किसी भी प्रकार के कष्ट और दोष से बचाव हो सके चुकी हम सभी कार्य कही न कही अपनी और अपने परिवार की बेहतरी के लिए ही तो करते है।

धन्यवाद आज के लिए इतना ही अगली बार फिर मिलेंगे एक और नए विषय के साथ आप मुझे ईमेल द्वारा भी बताते रहे अगर आप किसी विशेष विषय पर कोई जानकारी चाहते है तो।