लाल किताब और गाये की सेवा

नमस्कार दोस्तों

आज लेख द्वारा मैं आप सभी को एक और उपाए से सम्बंधित जानकारी देना चाहूंगा।

गाये की सेवा।

शुक्र जो की दांपत्य जीवन का मालिक है और ऐश्वर्य का परिचायक भी है सुख सुविधाओं को देने वाला है। उस शुक्र ग्रह को मज़बूत करने के लिए और शुक्र ग्रह के तथा गृहस्थी के कई दोषो को दूर करने के लिए गाये की सेवा करते है यू भी हमारे पुराणों में गाये में करोड़ो देवी देवताओ का वास बातया गया है. कपिला और कामधेनु अलग अलग रूपों में इसकी पूजा भी की जाती है।

कपिला यानि काली गाये जिसके थन भी काले होते है।
कामधेनु गाये जो की अपने बछड़े के साथ होती है।

परन्तु लाल किताब की माने तो कुंडली के प्रत्येक घर में शुक्र की स्थिति के अनुसार ही यह सेवा होनी चाहिए इसी विषय पर मैं आज का यह लेख लिख रहा हूँ। इसमें भी समझने वाली जो बात है वो यह है की कई दफा हम भक्ति भाव में बह कर या परोपकार के चलते कई ऐसे कार्य कर बैठते है जो कई प्रकार की परेशानियों को जन्म देते है और हमें उन समस्याओ की जड़ का पता नहीं चलता और हम यू ही कष्ट भोगते रहते है।

शुक्र यदि खाना नंबर 1 में हो तो काली गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 2 में हो तो भोंडी गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 7 में हो तो लाल गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 8 में हो तो काली या लाल सींग वाली गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 9 में हो तो काली या लाल भोंडी गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 10 में हो तो कपिला ये की सेवा और दान करना चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 11 में हो तो कपिला गाये की सेवा करनी चाहिए।
शुक्र यदि खाना नंबर 12 में हो तो कामधेनु गाये की सेवा करनी चाहिए।

इसके अलावा बचने वाले घरो में किसी खास प्रकार की गाये के लिए नहीं कहा गया। परन्तु पितृ ऋण की अवस्था में जब एक साथ 100 गाये को भोजन की वयवस्था की जाए तो ध्यान रखा जाना चाहिए की वह अंगहीन ना हो।
इसके अलावा देखा गया है बड़े पैमाने पर यानी बहुत जयादा संख्या में यदि आप सेवा करते है तो वहाँ गाये के रंग आदि को लेकर कोई विषय विवाद नहीं है।

इसके अलावा शनिचर देवता के खाना न 2 में होने पर भूरी भैंस की सेवा
और शनि के खाना न 7 में होने पर काली भोंडी गाये की सेवा के लिए बताया गया है।

मेरी आप सबसे बार बार यही निवेदन है की कोई भी उपाए को करने से पूर्व एक बार किसी ज्योतिष से सलाह जरूर कर लें ताकि किसी भी प्रकार के कष्ट और दोष से बचाव हो सके चुकी हम सभी कार्य कही न कही अपनी और अपने परिवार की बेहतरी के लिए ही तो करते है।

धन्यवाद आज के लिए इतना ही अगली बार फिर मिलेंगे एक और नए विषय के साथ आप मुझे ईमेल द्वारा भी बताते रहे अगर आप किसी विशेष विषय पर कोई जानकारी चाहते है तो।

लाल किताब कुत्तों की सेवा कब और कैसे ।

नमस्कार दोस्तों
जैसा की मैंने वादा किया था की अपने अगले लेख में हम उपायों के विषय में कुछ बात करेंगे।

आज कल लाल किताब के उपाए बहुत आम है हर कोई कुछ भी अपने अपने तरीकों से करता नज़र आ जाता है यूट्यूब पर भी तमाम लोग उपायों को बताते रहते है। यहाँ आज मैं इसी बारे में कुछ बातें बताना चाहूंगा।

जिस प्रकार होम्योपैथिक मेडिसिन के फायदे है अगर तरीके से ली जाये परन्तु साइड इफ़ेक्ट और भी खतरनाक है यदि उन्हें गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाये बस यह समझना बहुत ज़रूरी है कोई भी उपाए आप अपने टेवा यानि horoscope / Kundali दिखाए बिना ना करे वरना आपको बुरे परिणामो का सामना भी करना पढ़ सकता है।

जैसे कुत्तों की सेवा करना यह बहुत ही लोकप्रिय हो चला है लोग बिना जाने समझे गली मुहल्लों मैं कुत्तो को खाना खिलाते मिल जायेंगे। अच्छी बात है परन्तु किसी भी उपाए को जब करें तो पूर्ण श्रद्धा और नियम के साथ करे और उसको समझे की आप क्या करना चाहते है और क्यो करना चाहते है।

कुत्ता यानि केतु लाल किताब में बताया गया है यानि घूमता दरवेश / साधु , आने वाली नस्ल यानि औलाद , ऐश्वर्य , सलाह और भी जाने क्या क्या

केतु ग्रह के देवता गणेश जी

अब अगर कुत्ते की सेवा करनी ही है तो लाल किताब ने अलग अलग रंग की बात कही है और दुम को भी एक विषय बताया है। मोटा मोटी जान ले तो घर में पाला कुत्ता हो तो उसे केवल और केवल घर के लोग ही खाना दे अपितु किसी और के खाना देने पर वह अशुभ और जहर के सामान असर देने वाला हो जायेगा।

असल में 2 रंगों के मेल वाला कुत्ता यानी काला सफ़ेद कुत्ता ही केतु है। अपितु चेहरे पर 2 रंगो का मेल अशुभ हो सकता है परन्तु यह 2 रंगा चेहरे से तभी ध्यान देने लायक होगा अगर आपने ऐसा कुत्ता पालना हो घर मैं अन्यथा कोई परेशानी वाली बात नहीं है।

और जो लोग सड़कों पर कुत्तों को खिलाते है उनके लिए हिदायत है की उन्हें इज़्ज़त से खिलाये साफ़ सुथरा और तरीके से भोजन दे न की फेंक कर या सिर्फ अपने फायदे के लिए मीठे बिस्किट्स दे कर चलते बने अगर बिस्किट्स भी देने ही है तो बहुत कम मीठे बिस्किट्स चुने ताकि उन्हें खुजली और बीमारी जैसी दिक्क़ते न पेश आये.

और सेवा सिर्फ भोजन करवाने तक ही सिमित ना रहे किसी घायल कुत्ते को इलाज आदि दिलवा कर भी मदद करे. क्योकि आप ये तो जानते ही होंगे की कहते है कुत्ता सभी कष्टों को अपने ऊपर ले लेता है।

और हो सके तो भोजन किसी दोने या बर्तन में रख कर ही दे। तो आपका उपाए सार्थक होगा।

भोजन या खाने की सामग्री उतनी ही डाले जितनी वह खा ले यानी न भी खाये तो ज्यादा बर्बाद या सड़कों पर इधर उधर न बिखरा रहे। बिखरे रहने पर आप शायद एक उपाए तो कर लेंगे परन्तु 1 और ऋण के भागी भी बन जायेंगे।

और घर में कुत्ता पालना हो तो एक बार किसी ज्योतिष से सलाह ले लेना उचित होगा। बाहर गली में या खुल्ले में घूमने वाले कुत्तो की सेवा करते हुए सिर्फ लाल रंग के कुत्ते का परहेज हो सकता है। क्योकि लाल कुत्ता सूर्य का होगा। अन्यथा कोई दिक्कत या वहम की बात नही।

और एक बात जो बहुत ज़रूरी है बाहर घूमते कुत्तो को मीट आदि मत दे उससे वह बहुत आक्रमक हो जाते है जोकि दुसरे लोगो के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

दोस्तों अगली बार फिर किसी एक उपाए के बारे में बात करेंगे उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया हो मुझे email करते रहे और आने वाले समय में किन विषयो पर लेख लिखे जाये वो भी जरूर बताये।

नमस्कार

लाल किताब से परेशान है ??

नमस्कार दोस्तों

यह शीर्षक देख कर उम्मीद है आपकी रूचि भी बढ़ गई होगी जी मेरा यही प्रयास भी था

आज सुबह एक यूट्यूब पोस्ट पर नज़र गई लाल किताब शीर्षक था तो देखना तो बनता ही था। लगभग 15 मिनट का वह वीडियो था जिसे देखने के बाद समझ आया की उसमे लाल किताब के विषय में सिर्फ और सिर्फ बुराइया ही थी. पहले पहले बुरा लगा परन्तु फिर मैंने यह आर्टिकल लिखने का सोचा

आईये आज इसी को विषय बनाते है चिंता मत कीजिये मैं आपका समय व्यर्थ नहीं करूंगा।

लाल किताब में सबसे पहले कहा गया है की इल्म की जानकारी रखने वाले को किसी भी दुसरे इल्म की बदखोयी यानी बुराई नहीं करनी चाहिए
और जो शख्स ऐसा करे उस से दूरी बना ले।

परन्तु जो शख्स आपके इल्म की कमियां बताये उसे दोस्त माने चुकी वही इंसान आपको और तालीम यानी ज्ञान अर्जित करने की प्रेरणा भी देता है।

बुराई करना और कमिया बताना दोनों बातों में फरक है

तो मेरी उन सभी सज्जनो से प्रार्थना है की वह लोग लाल किताब को टैग करके लोकप्रियता पाने की बजाये खुद के इल्म के विषय में ज्ञान और प्रेरणा दे जिससे मानव जाती का भला होगा और दूसरों का अमूल्य समय भी बर्बाद नहीं होगा।

ज्योतिष की सभी प्रणालियाँ या विधाये पढ़ना समझना खुद में अद्भुत है और रोचक भी है। लाल किताब भी traditional ज्योतिष से प्रेरित एक ग्रन्थ है

(यहाँ मैंने traditional ज्योतिष कहा है जिसे आप सभी वैदिक ज्योतिष के नाम से बुलाते हैँ ).

लाल किताब एक अद्भुत किताब है जो की 5 भागो में बाटी गई है इसके रचियता पूजनीय पंडित रूप चन्द जोशी जी ने इसे क्रमश 1939 , 1940, 1941, 1942 , 1952।

इसके द्वारा सटीक फलित किया जा सकता है इसके नियम बहुत सीधे और सरल है (इन्ही विषयो और नियमो के बारे में हम मेरी इस वेब साइट पर समय समय पर बात करते रहेंगे ).

कुछ लोग इसको बुरा भला कहने और बदनाम करने से नहीं चूकते। मैं मानता हूँ की कोई भी मनुष्य अपनी परिकल्पना और ज्ञान शक्ति के द्वारा ही सिमित होता है. वरना लाल किताब की शक्तिया असीमित है। मैंने उनको महसूस किया है।

लाल किताब में इसके लेखक ने traditional ज्योतिष के नियमो को ही साथ लेकर बस सभी राशियों को स्थिर भाव और ग्रहो को पक्के घरों में बाँट दिया है जिससे लम्बी लम्बी गणनाये ख़तम कर दी गई । लाल किताब में भावो का उपाए किया जाता है ।

लाल किताब को सिर्फ उपाए मात्र करने वाली किताब या टोने टोटके वाली किताब बताया जाता है। जो लाल किताब प्रेमी है उन्हें दुःख होना स्वाभाविक है।
सच ही कहा है ज्ञान के साथ साथ अभिमान आ जाता है तो ये कहना गलत नहीं है की लोग अपने ज्ञान के मत में और खुद को ऊँचा दिखाने के लिए दूसरो को अपमानित भी कर सकते है।

आप किसी भी विषय का ज्ञान हासिल करे परन्तु उसे पूर्ण रूप से समझे तभी उस विषय पर टिपण्णी करे तो उचित होगा।

कहा जाता है आलिम को इल्म में शक क्या।

जिसे ज्ञान है उसे इल्म का महत्व समझने की ज़रुरत नहीं पड़ती।

कई लोग इसे बिना समझे बदनाम करने के लिए लोगो को बहकाते हैं की लाल किताबी आपको घर में मूर्ति ,मंदिर सब हटाने के लिए कहते है आदि आदि।
मैं इस विषय पर सिर्फ फिलहाल इतना ही कहना चाहूंगा की

क्या पहले हमारे घरो में मंदिर होते थे। क्या हम लोग बाहर ही जा कर सामुहिक पूजा पाठ नहीं करते थे।
और अगर आप घरों में मंदिर रखना ही चाहते है तो क्या आप उन भगवान के द्वारा स्थापित नियमो का पालन करते है.

लाल किताब में प्रत्येक ग्रह का स्वामी किसी न किसी भगवान को बताया गया है और लाल किताब कहती है जो ग्रह अच्छा है उस से सम्बंधित भगवान को पूजे। सभी को नहीं जैसे की traditional ज्योतिष में भी कहा गया है की इष्ट की ही पूजा करे.

कई विसंगतिया है जिनका उल्लेख सिर्फ एक लेख में कर पाना आसान नहीं होगा। ये सब हमारे समाज में कई वर्षो से रच बस गई है।

मैं आप सबसे अनुरोध करूंगा जिस विषय से आप जुड़े उसका और दुसरे विषयों का भी सम्मान करे।

इस विषय को यही समाप्त करता हूँ।

अगली बार कुछ लाल किताब के उपायों को लेकर बात करूंगा मेरे साथ जुड़े रहे धन्यवाद।

केतु ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 6
अमूमन मंदे घर 8, 11.
उच्च घर 9,12
नीच घर 3, 6
मित्र ग्रह शुक्र, राहु
शत्रु ग्रह चन्दर, मंगल
सम ग्रह बृहस्पति, शनि, बुध, (सूर्य मध्यम हो जाता है )
पोशाक सर ढकने के लिए दुपट्टा
मस्नूई ग्रह शुक्कर + शनिचर = उच्च का केतु
चन्दर + शनिच्चर = नीच केतु

राहु केतु दोनों ही पाप है परन्तु यदि साथ में शनि मिल जाये तो पापी टोला बन जाता है ।
बृहस्पति के साथ बहुत उत्तम माना जाता है ।
वही बुध के साथ मिल जाने से बुरे असर का ।
केतु झंडा है विश्वास है।
पेशाब की बीमारिया, जोड़ो का दर्द पेअर के नाखून केतु के असर है ।
बृहस्पति, मंगल, बुध 12 खाना में हो तो केतु का असर नीच ही होता है।

दोहता , बहिन के घर भाई, ससुराल में जवाई तीनो दुनियावी कुत्ते है तीनो की पालना शुभ असर देती है।
यह दोरंगा है काला सफ़ेद ।
बृहस्पति अगर मंदिर है तो बैठ कर पूजा करने वाला आसन केतु ही कहलाता है। दोनों दरवेश ही है पर किस्म अलग अलग है।

केतु पहले घरों में बृहस्पति बाद में केतु मंदा होगा।

राहु केतु के विषय में लिखना हो तो बहुत कुछ है फ़िलहाल इतना ही. धन्यवाद

मसनुई ग्रह लाल किताब

दोस्तों इस लेख में मैं आपको कुछ छोटी छोटी बातें बताना चाहूंगा जोकि लाल किताब के संदर्भ में लिखी गई कुछ बातों को समझने और समझने में आपकी मदद करेंगी। कुछ शब्द मेरे पाठको के लिए नए हो सकते है जो लाल किताब को जानते है उन्हें तो शायद कोई दिक्कत न हो।

मस्नूई शब्द काफी मर्तबा इस्तेमाल लाया गया है उसके बारे में बता दू. लाल किताब में हर ग्रह के 2 हिस्से हो सकते है जैसे सूर्य + बुध = मंगल नेक
अब इसको इस तरह समझे प्रत्येक ग्रह में 2 ग्रहो की मिलावट होती है। यानि 2 ग्रह मिल जाये तो एक नया ग्रह बन जाता है.
सूर्य + शुक्कर = बृहस्पति
सूर्य + शनि = मंगल बद
राहू + केतु = शुक्र
लाल किताब में जब कभी एक ग्रह का असर ख़राब या अशुभ होता है तो उस ग्रह में से उस अशुभ हिस्से को वह से हटा लिया जाता है. जैसे राहु + बृहस्पति = बुध यानि बनावटी बुध या मस्नूई बुध अब इसमें से हम राहु को या बृहस्पति को जरूरत के अनुसार हटा सकते है.

लाल किताब के उपाए कोई भी शुभ कार्य कभी भी रिक्ता तिथियो में शुरू नहीं किया जाता उसी प्रकार लाल किताब में हिदायत दी गई है की लम्बी मियाद वाले उपाए नवमी , चतुर्थी, चौदस , अमवस्या वाले दिन शुरू नहीं किये जाने चाहिए। परन्तु एक बार शुरू किये जाने पर उपाए की मियाद के दौरान इन तिथियों से कोई परहेज नहीं. बस उपाए पूरी बताई गई मियाद तक पूरा करे बिना नागा कोई भी दिन का अंतराल हो जाने पर किये गए दिनों का भी असर शुन्य यानि निरर्थक हो जाता है।

इसी के साथ मैं आप सब से इजाज़त चाहूंगा आता रहूँगा नए नए विषयों के साथ। साथ ही आप किस बारे में जानना चाहेंगे मुझे ज़रूर बताये।
धन्यवाद