सूर्य ग्रह लाल किताब की नज़र से

मैं अपने इस लेख में सूर्य ग्रह के बारे में कुछ खास बातें बताना चाहूंगा जो आपको कुंडली में सूर्य की स्थिति और उसके द्वारा दिए जाने वाले प्रभावों को जानने में सहायक होगी। मेरी कोशिश है की मैं अपनी बात बहुत ही संक्षेप मैं और सरलता पूर्वक आप तक पंहुचा पाऊ।

सूर्य यानि आत्मा।
उच्च भाव १।
नीच भाव ७।
केतु बलि का बकरा।
पक्का घर खाना न १।
सूर्य मालिक खाना न ५ का
खाना न १ और ५ में सूर्य अपने शत्रु एवं मित्र ग्रहो की मदद किया करता है।
सूर्य लगन कुंडली में १, ५, ११ भाव में होने पर कुंडली मैं सभी ग्रह बालिग होंगे।
ग्रहण वाली कुंडली में सूर्य ४५ साल तक अपना उत्तम असर नहीं दे पाता।
शनि और सूर्य के टकराव की स्थिति मैं शुक्र ख़राब हो जाता है।
मित्र ग्रह …. चन्दर। मंगल। बृहस्पति।
सम ग्रह …. बुध
शत्रु ग्रह ….. शुक्र शनि राहु (केतु से इसकी शक्ति कम हो जाती हैं।
जनम कुंडली मे सूर्य किसी भी घर का हो वर्षफल के हिसाब से यदि वो खाना न १ में आ जाये तो उस साल शुक्र का फल खराब हो जाता है

धन्यवाद मेरी कोशिश रहेगी इस प्रकार की सरल और उपयोगी जानकारी में आपको समय समय पर उपलब्ध करवाता रहु

आपका भूषण