लाल किताब कुत्तों की सेवा कब और कैसे ।

नमस्कार दोस्तों
जैसा की मैंने वादा किया था की अपने अगले लेख में हम उपायों के विषय में कुछ बात करेंगे।

आज कल लाल किताब के उपाए बहुत आम है हर कोई कुछ भी अपने अपने तरीकों से करता नज़र आ जाता है यूट्यूब पर भी तमाम लोग उपायों को बताते रहते है। यहाँ आज मैं इसी बारे में कुछ बातें बताना चाहूंगा।

जिस प्रकार होम्योपैथिक मेडिसिन के फायदे है अगर तरीके से ली जाये परन्तु साइड इफ़ेक्ट और भी खतरनाक है यदि उन्हें गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाये बस यह समझना बहुत ज़रूरी है कोई भी उपाए आप अपने टेवा यानि horoscope / Kundali दिखाए बिना ना करे वरना आपको बुरे परिणामो का सामना भी करना पढ़ सकता है।

जैसे कुत्तों की सेवा करना यह बहुत ही लोकप्रिय हो चला है लोग बिना जाने समझे गली मुहल्लों मैं कुत्तो को खाना खिलाते मिल जायेंगे। अच्छी बात है परन्तु किसी भी उपाए को जब करें तो पूर्ण श्रद्धा और नियम के साथ करे और उसको समझे की आप क्या करना चाहते है और क्यो करना चाहते है।

कुत्ता यानि केतु लाल किताब में बताया गया है यानि घूमता दरवेश / साधु , आने वाली नस्ल यानि औलाद , ऐश्वर्य , सलाह और भी जाने क्या क्या

केतु ग्रह के देवता गणेश जी

अब अगर कुत्ते की सेवा करनी ही है तो लाल किताब ने अलग अलग रंग की बात कही है और दुम को भी एक विषय बताया है। मोटा मोटी जान ले तो घर में पाला कुत्ता हो तो उसे केवल और केवल घर के लोग ही खाना दे अपितु किसी और के खाना देने पर वह अशुभ और जहर के सामान असर देने वाला हो जायेगा।

असल में 2 रंगों के मेल वाला कुत्ता यानी काला सफ़ेद कुत्ता ही केतु है। अपितु चेहरे पर 2 रंगो का मेल अशुभ हो सकता है परन्तु यह 2 रंगा चेहरे से तभी ध्यान देने लायक होगा अगर आपने ऐसा कुत्ता पालना हो घर मैं अन्यथा कोई परेशानी वाली बात नहीं है।

और जो लोग सड़कों पर कुत्तों को खिलाते है उनके लिए हिदायत है की उन्हें इज़्ज़त से खिलाये साफ़ सुथरा और तरीके से भोजन दे न की फेंक कर या सिर्फ अपने फायदे के लिए मीठे बिस्किट्स दे कर चलते बने अगर बिस्किट्स भी देने ही है तो बहुत कम मीठे बिस्किट्स चुने ताकि उन्हें खुजली और बीमारी जैसी दिक्क़ते न पेश आये.

और सेवा सिर्फ भोजन करवाने तक ही सिमित ना रहे किसी घायल कुत्ते को इलाज आदि दिलवा कर भी मदद करे. क्योकि आप ये तो जानते ही होंगे की कहते है कुत्ता सभी कष्टों को अपने ऊपर ले लेता है।

और हो सके तो भोजन किसी दोने या बर्तन में रख कर ही दे। तो आपका उपाए सार्थक होगा।

भोजन या खाने की सामग्री उतनी ही डाले जितनी वह खा ले यानी न भी खाये तो ज्यादा बर्बाद या सड़कों पर इधर उधर न बिखरा रहे। बिखरे रहने पर आप शायद एक उपाए तो कर लेंगे परन्तु 1 और ऋण के भागी भी बन जायेंगे।

और घर में कुत्ता पालना हो तो एक बार किसी ज्योतिष से सलाह ले लेना उचित होगा। बाहर गली में या खुल्ले में घूमने वाले कुत्तो की सेवा करते हुए सिर्फ लाल रंग के कुत्ते का परहेज हो सकता है। क्योकि लाल कुत्ता सूर्य का होगा। अन्यथा कोई दिक्कत या वहम की बात नही।

और एक बात जो बहुत ज़रूरी है बाहर घूमते कुत्तो को मीट आदि मत दे उससे वह बहुत आक्रमक हो जाते है जोकि दुसरे लोगो के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

दोस्तों अगली बार फिर किसी एक उपाए के बारे में बात करेंगे उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया हो मुझे email करते रहे और आने वाले समय में किन विषयो पर लेख लिखे जाये वो भी जरूर बताये।

नमस्कार

लाल किताब से परेशान है ??

नमस्कार दोस्तों

यह शीर्षक देख कर उम्मीद है आपकी रूचि भी बढ़ गई होगी जी मेरा यही प्रयास भी था

आज सुबह एक यूट्यूब पोस्ट पर नज़र गई लाल किताब शीर्षक था तो देखना तो बनता ही था। लगभग 15 मिनट का वह वीडियो था जिसे देखने के बाद समझ आया की उसमे लाल किताब के विषय में सिर्फ और सिर्फ बुराइया ही थी. पहले पहले बुरा लगा परन्तु फिर मैंने यह आर्टिकल लिखने का सोचा

आईये आज इसी को विषय बनाते है चिंता मत कीजिये मैं आपका समय व्यर्थ नहीं करूंगा।

लाल किताब में सबसे पहले कहा गया है की इल्म की जानकारी रखने वाले को किसी भी दुसरे इल्म की बदखोयी यानी बुराई नहीं करनी चाहिए
और जो शख्स ऐसा करे उस से दूरी बना ले।

परन्तु जो शख्स आपके इल्म की कमियां बताये उसे दोस्त माने चुकी वही इंसान आपको और तालीम यानी ज्ञान अर्जित करने की प्रेरणा भी देता है।

बुराई करना और कमिया बताना दोनों बातों में फरक है

तो मेरी उन सभी सज्जनो से प्रार्थना है की वह लोग लाल किताब को टैग करके लोकप्रियता पाने की बजाये खुद के इल्म के विषय में ज्ञान और प्रेरणा दे जिससे मानव जाती का भला होगा और दूसरों का अमूल्य समय भी बर्बाद नहीं होगा।

ज्योतिष की सभी प्रणालियाँ या विधाये पढ़ना समझना खुद में अद्भुत है और रोचक भी है। लाल किताब भी traditional ज्योतिष से प्रेरित एक ग्रन्थ है

(यहाँ मैंने traditional ज्योतिष कहा है जिसे आप सभी वैदिक ज्योतिष के नाम से बुलाते हैँ ).

लाल किताब एक अद्भुत किताब है जो की 5 भागो में बाटी गई है इसके रचियता पूजनीय पंडित रूप चन्द जोशी जी ने इसे क्रमश 1939 , 1940, 1941, 1942 , 1952।

इसके द्वारा सटीक फलित किया जा सकता है इसके नियम बहुत सीधे और सरल है (इन्ही विषयो और नियमो के बारे में हम मेरी इस वेब साइट पर समय समय पर बात करते रहेंगे ).

कुछ लोग इसको बुरा भला कहने और बदनाम करने से नहीं चूकते। मैं मानता हूँ की कोई भी मनुष्य अपनी परिकल्पना और ज्ञान शक्ति के द्वारा ही सिमित होता है. वरना लाल किताब की शक्तिया असीमित है। मैंने उनको महसूस किया है।

लाल किताब में इसके लेखक ने traditional ज्योतिष के नियमो को ही साथ लेकर बस सभी राशियों को स्थिर भाव और ग्रहो को पक्के घरों में बाँट दिया है जिससे लम्बी लम्बी गणनाये ख़तम कर दी गई । लाल किताब में भावो का उपाए किया जाता है ।

लाल किताब को सिर्फ उपाए मात्र करने वाली किताब या टोने टोटके वाली किताब बताया जाता है। जो लाल किताब प्रेमी है उन्हें दुःख होना स्वाभाविक है।
सच ही कहा है ज्ञान के साथ साथ अभिमान आ जाता है तो ये कहना गलत नहीं है की लोग अपने ज्ञान के मत में और खुद को ऊँचा दिखाने के लिए दूसरो को अपमानित भी कर सकते है।

आप किसी भी विषय का ज्ञान हासिल करे परन्तु उसे पूर्ण रूप से समझे तभी उस विषय पर टिपण्णी करे तो उचित होगा।

कहा जाता है आलिम को इल्म में शक क्या।

जिसे ज्ञान है उसे इल्म का महत्व समझने की ज़रुरत नहीं पड़ती।

कई लोग इसे बिना समझे बदनाम करने के लिए लोगो को बहकाते हैं की लाल किताबी आपको घर में मूर्ति ,मंदिर सब हटाने के लिए कहते है आदि आदि।
मैं इस विषय पर सिर्फ फिलहाल इतना ही कहना चाहूंगा की

क्या पहले हमारे घरो में मंदिर होते थे। क्या हम लोग बाहर ही जा कर सामुहिक पूजा पाठ नहीं करते थे।
और अगर आप घरों में मंदिर रखना ही चाहते है तो क्या आप उन भगवान के द्वारा स्थापित नियमो का पालन करते है.

लाल किताब में प्रत्येक ग्रह का स्वामी किसी न किसी भगवान को बताया गया है और लाल किताब कहती है जो ग्रह अच्छा है उस से सम्बंधित भगवान को पूजे। सभी को नहीं जैसे की traditional ज्योतिष में भी कहा गया है की इष्ट की ही पूजा करे.

कई विसंगतिया है जिनका उल्लेख सिर्फ एक लेख में कर पाना आसान नहीं होगा। ये सब हमारे समाज में कई वर्षो से रच बस गई है।

मैं आप सबसे अनुरोध करूंगा जिस विषय से आप जुड़े उसका और दुसरे विषयों का भी सम्मान करे।

इस विषय को यही समाप्त करता हूँ।

अगली बार कुछ लाल किताब के उपायों को लेकर बात करूंगा मेरे साथ जुड़े रहे धन्यवाद।

केतु ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 6
अमूमन मंदे घर 8, 11.
उच्च घर 9,12
नीच घर 3, 6
मित्र ग्रह शुक्र, राहु
शत्रु ग्रह चन्दर, मंगल
सम ग्रह बृहस्पति, शनि, बुध, (सूर्य मध्यम हो जाता है )
पोशाक सर ढकने के लिए दुपट्टा
मस्नूई ग्रह शुक्कर + शनिचर = उच्च का केतु
चन्दर + शनिच्चर = नीच केतु

राहु केतु दोनों ही पाप है परन्तु यदि साथ में शनि मिल जाये तो पापी टोला बन जाता है ।
बृहस्पति के साथ बहुत उत्तम माना जाता है ।
वही बुध के साथ मिल जाने से बुरे असर का ।
केतु झंडा है विश्वास है।
पेशाब की बीमारिया, जोड़ो का दर्द पेअर के नाखून केतु के असर है ।
बृहस्पति, मंगल, बुध 12 खाना में हो तो केतु का असर नीच ही होता है।

दोहता , बहिन के घर भाई, ससुराल में जवाई तीनो दुनियावी कुत्ते है तीनो की पालना शुभ असर देती है।
यह दोरंगा है काला सफ़ेद ।
बृहस्पति अगर मंदिर है तो बैठ कर पूजा करने वाला आसन केतु ही कहलाता है। दोनों दरवेश ही है पर किस्म अलग अलग है।

केतु पहले घरों में बृहस्पति बाद में केतु मंदा होगा।

राहु केतु के विषय में लिखना हो तो बहुत कुछ है फ़िलहाल इतना ही. धन्यवाद

मसनुई ग्रह लाल किताब

दोस्तों इस लेख में मैं आपको कुछ छोटी छोटी बातें बताना चाहूंगा जोकि लाल किताब के संदर्भ में लिखी गई कुछ बातों को समझने और समझने में आपकी मदद करेंगी। कुछ शब्द मेरे पाठको के लिए नए हो सकते है जो लाल किताब को जानते है उन्हें तो शायद कोई दिक्कत न हो।

मस्नूई शब्द काफी मर्तबा इस्तेमाल लाया गया है उसके बारे में बता दू. लाल किताब में हर ग्रह के 2 हिस्से हो सकते है जैसे सूर्य + बुध = मंगल नेक
अब इसको इस तरह समझे प्रत्येक ग्रह में 2 ग्रहो की मिलावट होती है। यानि 2 ग्रह मिल जाये तो एक नया ग्रह बन जाता है.
सूर्य + शुक्कर = बृहस्पति
सूर्य + शनि = मंगल बद
राहू + केतु = शुक्र
लाल किताब में जब कभी एक ग्रह का असर ख़राब या अशुभ होता है तो उस ग्रह में से उस अशुभ हिस्से को वह से हटा लिया जाता है. जैसे राहु + बृहस्पति = बुध यानि बनावटी बुध या मस्नूई बुध अब इसमें से हम राहु को या बृहस्पति को जरूरत के अनुसार हटा सकते है.

लाल किताब के उपाए कोई भी शुभ कार्य कभी भी रिक्ता तिथियो में शुरू नहीं किया जाता उसी प्रकार लाल किताब में हिदायत दी गई है की लम्बी मियाद वाले उपाए नवमी , चतुर्थी, चौदस , अमवस्या वाले दिन शुरू नहीं किये जाने चाहिए। परन्तु एक बार शुरू किये जाने पर उपाए की मियाद के दौरान इन तिथियों से कोई परहेज नहीं. बस उपाए पूरी बताई गई मियाद तक पूरा करे बिना नागा कोई भी दिन का अंतराल हो जाने पर किये गए दिनों का भी असर शुन्य यानि निरर्थक हो जाता है।

इसी के साथ मैं आप सब से इजाज़त चाहूंगा आता रहूँगा नए नए विषयों के साथ। साथ ही आप किस बारे में जानना चाहेंगे मुझे ज़रूर बताये।
धन्यवाद

राहु ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 12
मंदे घर 2, 5, 7, 12
शत्रु सूर्य, मंगल, शुक्र
सम ग्रह बृहस्पति, चन्दर
उच्च घर 3
नीच घर 9
मित्र ग्रह शनि, बुध, केतु
मसनुई मंगल + शनि = राहु उच्च
सूर्य + शनि = राहु नीच
पोशाक पतलून , पजामा

मंदे राहु के समय दक्षिण का दरवाजा माली नुकसान देता है

उच्च नीच के घरों में होने के बावजूद राहु उच्च नीच है इसके कई और भी नियम है
जैसे सूर्य शनि एक साथ तो राहु नीच का असर देता है
सूर्य + शुक्र एक साथ तो भी राहु का असर खराब हो जाता है
शुक्र बुध से पहले घरो में हो तो भी राहु नीच हो जाता है इनके बारे में हम बाद के किसी लेख में बात करेंगे

चन्दर से यह शांत हो जाता है वैसे भी माँ के आगे जैसे शरारती बच्चे भी शरारत नहीं करते
और मंगल से राहु दब जाता है

इसलिए कहा जाता है जहा आग और पानी मिलते हो वही बैठ कर खाना खाये तो राहु शरारत नहीं करेगा यानि kitchen

ईष्या बदनीयत बुरे विचार ये सब राहु मंदे के रूप है

यह ग्रह चन्दर को मध्यम करता है और सूर्य को पूर्ण रूप से ग्रहण लगा देता है

चन्दर और राहु की युति जातक को दिमागी चिंताओं में घेरती है और मानसिक रोगी तक बना देती है

राहु धातुओं में जंग है
राहु का आम अरसा 6 साल का होता है जिसमे पहला हिस्सा 2 साल का मंगल, 2 साल केतु, अंत में स्वयम राहू

यह अमूमन सभी ग्रहो को मध्यम कर देता है राहु को देखे तो वो भी अशुभ असर का हो जाता है
परन्तु मंगल के समय ये नहीं बोल पाता

दोस्तों ऐसे ही छोटे छोटे परन्तु काम के नुक्ते लाता रहूँगा मिलते है धन्यवाद

बुध ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 7
मंदे घर 3, 8, 9, 12, 11
समान्यता अच्छे घर 1, 4, 5, 6, 7
उच्च खाना न 6
नीच खाना न 12

मसनुई ग्रह बृहस्पति + राहू

पोशाक बेल्ट , नाड़ा
मित्र ग्रह सूर्य, शुक्र, राहू
शत्रु ग्रह चन्दर

बहुत ही ताकतवर ग्रह है अद्भुत शक्तियों का मालिक यह ग्रह बुरे ग्रह के साथ बहुत ज्यादा बुरा और अच्छे ग्रह के साथ बहुत मददगार बन जाता है
इसे बहरूपिया भी इसी लिए बुलाया जाता है
खाना 7 में यह जिसके भी साथ हो उस ग्रह को तार देता है यानी उत्तम फल कर देता है
इसके 2 हिस्से है बृहस्पति और राहू इसलिए खाना 4 में योगकारी भी हो जाता है जहा इसका एक हिस्सा राहू नहीं बोलता
3, 9, 12 में द्रिष्टि सम्बन्ध वालो को भी खराब कर देता है और उल्टा देखने की ताकत रखता है
12 से 6
9 से 3
यह तुरंत किसी ग्रह को भी अपनी गोलाई में बांध लेता है
8 खाना न में भी खराब स्वभाव ले लेता है
लाल किताब में कहा गया है बुध यानि अक्ल और बृहस्पति यानि किस्मत इन दोनों का कोई झगड़ा नहीं है यानि अच्छे करम करते रहो
बुध बृहस्पति के साथ कुंडली में हो तो बुध पारा की तरह काम करता है और बृहस्पति यानि सोने को खा जाता है
बुध और शुक्र एक साथ ही अच्छे होते है

बुध शुक्र का दीवाना है वह यदि कुंडली में शुक्र से पहले घरों में हो तो बुध की नाली द्वारा शुक्र से मिल ही जाता है यदि बुध के साथ शुक्र के दुश्मन ग्रह हो तो ऐसे में शुक्र बुध को अपना फल स्वयं में न मिलने देगा

कुंडली में यदि चन्दर राहू की युति हो तो बुध खराब हो जाता है

बुध मंगल मिले जाये यानि युति हो जाये टेवे में तो लाल किताब में लिखा गया है सब रद्दी

कुंडली में बुध का भेद देख लेना बहुत ही ज़रूरी है जैसा की मैंने पहले ही कहा बुध बहुत शक्तिशाली परन्तु बहरूपिया है जहा बैठा हो ज़रूरी नहीं की वह वह अपना ही असर दे रहा हो इसलिए बुध का भेद निकल लेना ज़रूरी है जिसे हम अलग से फिर कभी समझेंगे

फ़िलहाल इतना ही धन्यवाद

शुक्र ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 7
उत्तम यानि श्रेष्ठ घर 2 , 3 , 4 , 7 , 12
बुरे घर 1 , 6 , 9
उच्च घर 12
नीच घर 6

मसनुई राहु + केतु = शुक्र
मित्र ग्रह केतु , बुध, शनि
शत्रु ग्रह सूर्य, राहु, चन्दर
पोशाक कमीज़

सूर्य , राहु , चन्दर के घरों में अक्सर शुक्र का बुरा असर होता है
शनि अगर शुक्र को देखे तो शुक्र का नुकसान नहीं होता
परन्तु अगर सूर्य शनि को देखे शुक्र का नाश हो जाता है
शुक्र अकेला कभी भी मंदा नहीं होता इसे हमेशा साथी ग्रह ने ही बदनाम या खराब किया है
बुध शुक्र का दीवाना है कैसे न कैसे मिल ही जायेगा शुक्र से बशर्ते अगर बुध शुक्र के पहले घरों में हो तो केतु उत्तम होगा
बुध शुक्र से बाद के घरों में हो तो राहु बर्बाद या बुरे प्रभाव का होगा
बुध के साथ शत्रु ग्रह होने की स्थिति में भी यही होता है शुक्र बुध को अपने में प्रभाव नहीं मिलाने देगा और बुध पागल हो जायेगा
मंगल + शुक्र = चन्दर
जब शनि शुक्र एक साथ बैठे हो तो कोई भी ग्रह इनको देख रहा हो तो शनि उस ग्रह को ख़राब कर देता है

दोस्तों यह छोटी छोटी जानकारिया आपको किसी भी कुंडली को देखने समझने में काफी हद्द तक मदद कर सकती है
धन्यवाद

मंगल ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 3
उच्च का घर 10
नीच घर 4
अशुभ घर 4 , 8
शुभ घर 1 – 3 , 5 , 6 , 7, 9 – 12
शत्रु ग्रह बुध, केतु
मित्र ग्रह सूर्य , चंद्र , गुरु
पोशाक वास्केट

मंगल के तो प्रकार है एक नेक यानि बेहद शुभ और दूसरा बद यानि बेहद अशुभ

मंगल मसनुई
सूर्य + बुध = नेक मंगल
सूर्य + शनि = बद मंगल

मित्र ग्रहो के साथ से मंगल की शक्ति बनी रहती है
चन्दर या सूर्य की मदद के बिना मंगल बद हो जाता है जो की जीवन में किसी प्रकार की खुशिया नहीं आने देता
यदि लगन कुंडली में मंगल पूर्ण रूप से अकेला हो तो जातक को तमाम उम्र मानसिक या शारीरिक योगयता को दिखने का मौका ही नहीं मिल पाता
सूर्य की किरणे ही मंगल हैं
राहु मंगल के साथ हो तो अपना बुरा प्रभाव नहीं दे पाता और यदि मंगल खाना न 12 में हो तो राहु कुंडली में कही भी स्थित हो अपना बुरा प्रभाव नहीं दे पाता
मंगल का सामान्य अरसा 6 साल पहले हिस्से यानि 2 साल में मंगल स्वयं दुसरे 2 साला हिस्से में शनि का असर तीसरा और अंतिम हिस्सा शुक्र का असर
3 , 8 में चन्दर के होते मंगल बद ना होगा
शनि मंगल दोनों एक साथ बृहस्पति के घरों में नेक होंगे
मंगल मांगलिक 1 , 4 , 7 , 8 , 12 में माना जाता है
स्त्री ग्रहो साथ या उनके घरो में मंगल बद होने पर स्त्रियों पर अशुभ फल होगा

आपका आभारी फिर मिलेंगे धन्यवाद

शनि ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 10
श्रेष्ठ घर 2, 7-12
मन्दे घर 1,4,5,6
उच्च घर 7
नीच घर 1
मसनुई ग्रह शुक्र + बृहस्पति = केतु स्वभाव
मङ्गल + बुध = राहु स्वभाव
शनि सुर्य पुत्र है।
केतु कुन्डली में यदि शनि से पहले घरो में हो तो वह इच्छाधारी सांप होगा ।
सूर्य शनि को देखे तो शुक्र की हानि होगी ।
बृहस्पति के घरों मई शनि कभी भी बुरा प्रभाव नहीं देता (2 , 9 , 12) बुरा असर होने पर बृहस्पति द्वारा ही ऊपचार भी किया जा सकता है ।
शनि 4 में चन्दर की हानि करता है ।
खाना न 8 में दुर्घटना का योग भी बना देता है ।
मंगल के घरो में यानि 3 , 8 में बुरा असर देता है ।
शनि शुक्र का प्रेमी है ।
शनि पापी ग्रहो का सरताज भी है ।
चन्दर मंगल के साथ इसका प्रभाव नीच हो जाता है ।
शनि शुक्र के साथ होने की स्थिति में जो ग्रह इनको देखे वही बर्बाद ।
दोस्तों ये थी कुछ छोटी छोटी परन्तु जरूरी बातें ऐसी हो और जानकारी के साथ में आप सब से मिलता रहूंगा धन्यवाद ।

चन्दर ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 4
श्रेष्ठ घर 1 – 5 , 7 – 9
मंदे घर 6 , 8 , 10 , 12
शत्रु ग्रह राहु, केतु
मित्र ग्रह सूर्य , बुध
चन्दर शुक्र बराबर है परन्तु चन्दर दुश्मनी करता है शुक्र से।
चन्दर बुध बराबर है परन्तु चन्दर दुश्मनी करता है बुध से.
मसनुई सूर्य + बृहस्पति = चन्दर।
पोशाक परना।
चन्दर के घर मई बैठा शत्रु ग्रह भी उत्तम असर देता है।
चन्दर शत्रु ग्रहो को देखने पर अपना ही असर देना बंद कर देता है।
परन्तु बुरे ग्रहो की दृष्टि होने पर वह अपना बुरा असर ज़रूर चन्दर मे मिला देते है।
यदि बृहस्पति पहले घरो मई 1 – 7 और केतु 8 – 12 तो चन्दर का फल ख़राब हो जायेगा।
चन्दर कभी ग्रह फल का नहीं होता।
चन्दर जब कभी भी आपसी दुश्मनी वाले ग्रहो के बीच हो तो उन ग्रहो मे दुश्मनी हटा के दोस्ती पैदा करवा देता है।
घोड़ा यानि चन्दर सिर्फ 3 ही अवस्थाओं मे जगता है जब वह खाना न 3 , 7 , 8 मई होता है।
चन्दर राहु एक साथ 45 तक (7, 12 मे नहीं) मंदे। राहु के साथ चन्दर मध्यम हो जाता है और केतु ग्रहण का कारण है चन्दर के लिए।

दोस्तों इसी प्रकार की और छोटी छोटी परन्तु बहुत जरूरी grammar के लिए मुझे अपने कमैंट्स ज़रूर भेजे और सुझाव भी की कैसे मै इनको और बेहतर बना सकता हु।
धन्यवाद।