मंगल बदकार यानि मंगल बद

कैसे है सब….. सभी प्रियजनो को मेरा प्यार भरा नमस्कार आज बात करेंगे मंगल के 2 रूपों की या यूं कहे की कैसे है मंगल के अलग अलग 2 स्वाभाव।

मंगल नेक और मंगल बद

परम्परागत ज्योतिष में इसे मंगलीक भी कहते है लाल किताब में इसे मंगल बद कहा गया है।
मंगल बद के दुष प्रभाव को रोकना कई दफा संभव नहीं हो पाता।
मंगल के बुरे प्रभाव को चन्दर से रोका जाता है।
सूर्य और चन्दर से मंगल की शक्ति बनी रहती है। जैसे की हम सब जानते है मंगल के मित्र सूर्य , चन्दर , बृहस्पति की मदद से मंगल को उत्तम किया जाता है।

मंगल बद होने पर जीवन में खुशिया नहीं आ पाती। कई दफा तो जीवन साथी की आयु या सेहत तक ख़त्म होने का खतरा बना रहता है या परिवार में पुरुषो के लिए कष्ट कारी साबित होता हैं।

इस विषय पर बहुत ही संक्षेप में बात करूँगा ताकि आपकी रूचि भी बने रहे और विषय भी समझ पाये।

जन्म कुंडली में (मंगलीक) मंगल बद कैसे देखे कुछ नुस्खे बता रहा हूँ। या किन योगो से मंगल बद नहीं होगा।

मंगल के साथ बुध हो तो मंगल बद ही होगा

1 , 4 , 7 , 8 , 12 में यू तो मंगल बुरा ही माना जाता है। परन्तु चन्दर सूर्य और बृहस्पति की मदद मिल रही हो तो ये ज्यादा कष्टकारी साबित नहीं होता

उपरोक्त घरों में ही यदि (शनि + राहु) / (मंगल + राहु) / (मंगल+ केतु) / तो मंगल बुरा प्रभाव ही देगा।
इसी प्रकार सूर्य बुध शुक्र की युति भी कष्टकारी होती है यानी इनके मिलने से भी मंगल बद हो जाता है।

जिस तरह सूर्य + बुध की युति जन्म कुंडली में होने पर मंगल नेक हो जाता है।
उसी प्रकार सूर्य + शनि की युति इस दूषित कर मंगल नीच का प्रभाव देती है।

सूर्य + बुध मस्नूई यानी मंगल बनावटी बन जाते है।
याद रहे जब भी कोई 2 बाहम शत्रु जैसे (बुध + केतु) / (सूर्य+ शुक्र) मंगल के साथी हो जाये तो मंगल मंदा नहीं रहेगा
इसके अलावा और भी नियम है

फिलहाल इतना ही। आप सभी अपना प्रेम बनाये रखे आपका आभारी

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