लाल किताब की चन्दर कुंडली

कैसे हो दोस्तों उम्मीद है आप सभी अपने अपने घरों में सुरक्षित होंगे। मेरी कामना है आप सभी स्वास्थ्य रहे और यह बुरा वक़्त जल्दी ही निकल जाये । दोस्तों आज लाल किताब का एक और बहुत ही बेहतरीन विषय ले कर आया हूँ चन्दर कुंडली पंडित जी ने अरमान 181 में इसका जिक्र किया है।

पंडित जी ने कहा है किसी भी जातक के जब दोनों हाथों में अंतर हो(जो की अमूमन होता ही है ) तो किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले दोनों ही हाथों को मुक़्क़मल तौर पर देख लेना ज़रूरी है जैसे की हम जानते है लाल किताब हस्त या सामुन्द्रिक ज्ञान पर आधारित है।

तो दाया हाथ यदि जन्म कुंडली है तो बाया हाथ चन्दर कुंडली कहलाता है। अमूमन दाया हाथ ही असर करता है परन्तु कभी कभी अचानक ही बाया हाथ भी अपना असर दे दिया करता है खास तौर पर जब चन्दर या शुक्र का वक्त हो।

आईये जाने कैसे बनती है लाल किताब में चन्दर कुंडली। पहले ज्योतिष की लगन कुंडली बनाये ।

अब इस जनम कुंडली में चन्दर जोकि खाना नंबर 4 में है उसे भाव 1 यानि लगन वाले खाने में लिख लें जो हिंदसे है वह जैसे थे वैसे ही रहेंगे देखिये अगले चित्र में ।

अब जिस भी घर में राशि नंबर 1 लिखा है उसे खाना नंबर 1 यानि लगन वाले भाव में लिख दे और बाकि भी खानो को तरतीब से लगा लें अब यही आपकी लाल किताब की चन्दर कुंडली हैं नीचे दिए गए चित्र को देखे ।

चन्दर कुंडली को देखने के लिए भी वही नियम है जो लाल किताब के लगन कुंडली पर लागू होते है फरक सिर्फ इतना है की लगन कुंडली जिस प्रकार खुद कुंडली वाले जातक पर असर देती है इसी प्रकार चन्दर कुंडली जब तक शादी न हुई हो अचानक कभी कभार असर दे देती है और शादी हो जाने पर यही कुंडली। कुंडली वाले जातक को राशिफल का काम भी देती है।

दोस्तों यह विषय बहुत सरल तो है परन्तु इसके असर/ परिणाम बहुत ही अद्भुत है। ज्योतिष का अंत नहीं। और पंडित रूप चंद जी द्वारा इस अमूल्य ग्रंथ की रचना से ज्योतिष को न केवल आसान ही बनाया अपितु उन्होंने जान मानस के लिए सुलभ उपाए भी दिए। मेरा उन्हें बार बार प्रणाम है।

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नमस्कार फिर मिलेंगे