राहु ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 12
मंदे घर 2, 5, 7, 12
शत्रु सूर्य, मंगल, शुक्र
सम ग्रह बृहस्पति, चन्दर
उच्च घर 3
नीच घर 9
मित्र ग्रह शनि, बुध, केतु
मसनुई मंगल + शनि = राहु उच्च
सूर्य + शनि = राहु नीच
पोशाक पतलून , पजामा

मंदे राहु के समय दक्षिण का दरवाजा माली नुकसान देता है

उच्च नीच के घरों में होने के बावजूद राहु उच्च नीच है इसके कई और भी नियम है
जैसे सूर्य शनि एक साथ तो राहु नीच का असर देता है
सूर्य + शुक्र एक साथ तो भी राहु का असर खराब हो जाता है
शुक्र बुध से पहले घरो में हो तो भी राहु नीच हो जाता है इनके बारे में हम बाद के किसी लेख में बात करेंगे

चन्दर से यह शांत हो जाता है वैसे भी माँ के आगे जैसे शरारती बच्चे भी शरारत नहीं करते
और मंगल से राहु दब जाता है

इसलिए कहा जाता है जहा आग और पानी मिलते हो वही बैठ कर खाना खाये तो राहु शरारत नहीं करेगा यानि kitchen

ईष्या बदनीयत बुरे विचार ये सब राहु मंदे के रूप है

यह ग्रह चन्दर को मध्यम करता है और सूर्य को पूर्ण रूप से ग्रहण लगा देता है

चन्दर और राहु की युति जातक को दिमागी चिंताओं में घेरती है और मानसिक रोगी तक बना देती है

राहु धातुओं में जंग है
राहु का आम अरसा 6 साल का होता है जिसमे पहला हिस्सा 2 साल का मंगल, 2 साल केतु, अंत में स्वयम राहू

यह अमूमन सभी ग्रहो को मध्यम कर देता है राहु को देखे तो वो भी अशुभ असर का हो जाता है
परन्तु मंगल के समय ये नहीं बोल पाता

दोस्तों ऐसे ही छोटे छोटे परन्तु काम के नुक्ते लाता रहूँगा मिलते है धन्यवाद

बुध ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 7
मंदे घर 3, 8, 9, 12, 11
समान्यता अच्छे घर 1, 4, 5, 6, 7
उच्च खाना न 6
नीच खाना न 12

मसनुई ग्रह बृहस्पति + राहू

पोशाक बेल्ट , नाड़ा
मित्र ग्रह सूर्य, शुक्र, राहू
शत्रु ग्रह चन्दर

बहुत ही ताकतवर ग्रह है अद्भुत शक्तियों का मालिक यह ग्रह बुरे ग्रह के साथ बहुत ज्यादा बुरा और अच्छे ग्रह के साथ बहुत मददगार बन जाता है
इसे बहरूपिया भी इसी लिए बुलाया जाता है
खाना 7 में यह जिसके भी साथ हो उस ग्रह को तार देता है यानी उत्तम फल कर देता है
इसके 2 हिस्से है बृहस्पति और राहू इसलिए खाना 4 में योगकारी भी हो जाता है जहा इसका एक हिस्सा राहू नहीं बोलता
3, 9, 12 में द्रिष्टि सम्बन्ध वालो को भी खराब कर देता है और उल्टा देखने की ताकत रखता है
12 से 6
9 से 3
यह तुरंत किसी ग्रह को भी अपनी गोलाई में बांध लेता है
8 खाना न में भी खराब स्वभाव ले लेता है
लाल किताब में कहा गया है बुध यानि अक्ल और बृहस्पति यानि किस्मत इन दोनों का कोई झगड़ा नहीं है यानि अच्छे करम करते रहो
बुध बृहस्पति के साथ कुंडली में हो तो बुध पारा की तरह काम करता है और बृहस्पति यानि सोने को खा जाता है
बुध और शुक्र एक साथ ही अच्छे होते है

बुध शुक्र का दीवाना है वह यदि कुंडली में शुक्र से पहले घरों में हो तो बुध की नाली द्वारा शुक्र से मिल ही जाता है यदि बुध के साथ शुक्र के दुश्मन ग्रह हो तो ऐसे में शुक्र बुध को अपना फल स्वयं में न मिलने देगा

कुंडली में यदि चन्दर राहू की युति हो तो बुध खराब हो जाता है

बुध मंगल मिले जाये यानि युति हो जाये टेवे में तो लाल किताब में लिखा गया है सब रद्दी

कुंडली में बुध का भेद देख लेना बहुत ही ज़रूरी है जैसा की मैंने पहले ही कहा बुध बहुत शक्तिशाली परन्तु बहरूपिया है जहा बैठा हो ज़रूरी नहीं की वह वह अपना ही असर दे रहा हो इसलिए बुध का भेद निकल लेना ज़रूरी है जिसे हम अलग से फिर कभी समझेंगे

फ़िलहाल इतना ही धन्यवाद

शुक्र ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 7
उत्तम यानि श्रेष्ठ घर 2 , 3 , 4 , 7 , 12
बुरे घर 1 , 6 , 9
उच्च घर 12
नीच घर 6

मसनुई राहु + केतु = शुक्र
मित्र ग्रह केतु , बुध, शनि
शत्रु ग्रह सूर्य, राहु, चन्दर
पोशाक कमीज़

सूर्य , राहु , चन्दर के घरों में अक्सर शुक्र का बुरा असर होता है
शनि अगर शुक्र को देखे तो शुक्र का नुकसान नहीं होता
परन्तु अगर सूर्य शनि को देखे शुक्र का नाश हो जाता है
शुक्र अकेला कभी भी मंदा नहीं होता इसे हमेशा साथी ग्रह ने ही बदनाम या खराब किया है
बुध शुक्र का दीवाना है कैसे न कैसे मिल ही जायेगा शुक्र से बशर्ते अगर बुध शुक्र के पहले घरों में हो तो केतु उत्तम होगा
बुध शुक्र से बाद के घरों में हो तो राहु बर्बाद या बुरे प्रभाव का होगा
बुध के साथ शत्रु ग्रह होने की स्थिति में भी यही होता है शुक्र बुध को अपने में प्रभाव नहीं मिलाने देगा और बुध पागल हो जायेगा
मंगल + शुक्र = चन्दर
जब शनि शुक्र एक साथ बैठे हो तो कोई भी ग्रह इनको देख रहा हो तो शनि उस ग्रह को ख़राब कर देता है

दोस्तों यह छोटी छोटी जानकारिया आपको किसी भी कुंडली को देखने समझने में काफी हद्द तक मदद कर सकती है
धन्यवाद

मंगल ग्रह लाल किताब की नज़र से

पक्का घर 3
उच्च का घर 10
नीच घर 4
अशुभ घर 4 , 8
शुभ घर 1 – 3 , 5 , 6 , 7, 9 – 12
शत्रु ग्रह बुध, केतु
मित्र ग्रह सूर्य , चंद्र , गुरु
पोशाक वास्केट

मंगल के तो प्रकार है एक नेक यानि बेहद शुभ और दूसरा बद यानि बेहद अशुभ

मंगल मसनुई
सूर्य + बुध = नेक मंगल
सूर्य + शनि = बद मंगल

मित्र ग्रहो के साथ से मंगल की शक्ति बनी रहती है
चन्दर या सूर्य की मदद के बिना मंगल बद हो जाता है जो की जीवन में किसी प्रकार की खुशिया नहीं आने देता
यदि लगन कुंडली में मंगल पूर्ण रूप से अकेला हो तो जातक को तमाम उम्र मानसिक या शारीरिक योगयता को दिखने का मौका ही नहीं मिल पाता
सूर्य की किरणे ही मंगल हैं
राहु मंगल के साथ हो तो अपना बुरा प्रभाव नहीं दे पाता और यदि मंगल खाना न 12 में हो तो राहु कुंडली में कही भी स्थित हो अपना बुरा प्रभाव नहीं दे पाता
मंगल का सामान्य अरसा 6 साल पहले हिस्से यानि 2 साल में मंगल स्वयं दुसरे 2 साला हिस्से में शनि का असर तीसरा और अंतिम हिस्सा शुक्र का असर
3 , 8 में चन्दर के होते मंगल बद ना होगा
शनि मंगल दोनों एक साथ बृहस्पति के घरों में नेक होंगे
मंगल मांगलिक 1 , 4 , 7 , 8 , 12 में माना जाता है
स्त्री ग्रहो साथ या उनके घरो में मंगल बद होने पर स्त्रियों पर अशुभ फल होगा

आपका आभारी फिर मिलेंगे धन्यवाद